दुनिया की 5 सबसे महंगी दवाएं: कीमत सुनकर रह जाएंगे दंग!

दवा चिकित्सा विज्ञान की दुनिया का एक अहम हिस्सा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ दवाओं की कीमत इतनी ज्यादा होती है कि आम इंसान के लिए उन्हें खरीदना नामुमकिन सा हो जाता है? आज हम आपको दुनिया की 5 सबसे महंगी दवाओं के बारे में बताएंगे,

1. ज़ोल्गेन्स्मा (Zolgensma) – ₹18 करोड़ (लगभग)

ज़ोल्गेन्स्मा दुनिया की सबसे महंगी दवा मानी जाती है। इसे स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी (SMA) नामक गंभीर बीमारी के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह एक जेनेटिक थेरेपी है, जो बच्चों को इस घातक बीमारी से बचाने में मदद करती है।

2. एल्डेफ्लुएनज़ा (Elevidys) – ₹16 करोड़ (लगभग)

यह दवा ड्यूशेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (DMD) नामक बीमारी के इलाज के लिए दी जाती है। यह बीमारी बच्चों की मांसपेशियों को कमजोर कर देती है, जिससे उनकी उम्र कम हो जाती है।

3. हेमजेनिक्स (Hemgenix) – ₹28 करोड़ (लगभग)

हेमजेनिक्स एक जीन थेरेपी है, जो हीमोफीलिया बी नामक दुर्लभ ब्लड डिसऑर्डर के इलाज के लिए दी जाती है। यह दवा मरीज के शरीर में खून का थक्का बनने की क्षमता को सुधारती है, जिससे बार-बार ब्लीडिंग की समस्या दूर होती है।

4. स्कर्लेसेंस (Skysona) – ₹25 करोड़ (लगभग)

यह दवा एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल बीमारी सिरिब्रल एड्रेनोल्यूकोडिस्ट्रॉफी (CALD) के इलाज में मदद करती है। यह बीमारी मस्तिष्क को प्रभावित करती है और बिना इलाज के यह जानलेवा साबित हो सकती है।

5. लक्सटुर्ना (Luxturna) – ₹6 करोड़ (लगभग)

लक्सटुर्ना एक जीन थेरेपी है, जो रेटिनल डिसऑर्डर से ग्रसित लोगों के लिए बनाई गई है। यह बीमारी मरीज की आंखों की रोशनी छीन सकती है, लेकिन यह दवा अंधेपन को रोकने में मदद करती है।

महंगी दवाएं क्यों होती हैं?

इन दवाओं की कीमत इतनी ज्यादा होने के पीछे कई कारण होते हैं:

जेनेटिक थेरेपी – यह एक अत्याधुनिक तकनीक है, जो जीन को बदलकर बीमारियों का इलाज करती है।

दुर्लभ बीमारियां – ये दवाएं बेहद कम मरीजों के लिए बनाई जाती हैं, इसलिए इनका उत्पादन सीमित होता है।

रिसर्च और डेवलपमेंट – इन दवाओं को बनाने में कई सालों की रिसर्च और भारी निवेश लगता है।

दुनिया की ये सबसे महंगी दवाएं दुर्लभ और गंभीर बीमारियों का इलाज करने में क्रांतिकारी बदलाव ला रही हैं। हालांकि, इनकी ऊंची कीमत आम लोगों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में सरकारें और दवा कंपनियां मिलकर इन दवाओं को सस्ता बनाने के प्रयास करेंगी, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इनसे फायदा उठा सकें।

 

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